HI 1650 Wheat Full Details In Hindi
अगर आप भी इस वर्ष गेहूं की खेती करने के लिए HI 1650 गेहूं का चयन करने की सोच रहे है तो आप को बता दें कि HI 1650 गेहूं की खेती करने से आपको काफी भारी मात्रा में उपज के साथ आय में भी बढ़ोतरी देखने को मिलने वाली है। क्योंकि पिछले वर्ष देखा गया था कि एचआई 1650 की खेती करने वाले किसानों को बहुत ही अधिक मात्रा में लाभ हुआ इसके साथ इसकी विशेषता भी प्रमुख है Hi 1650 कि एक बाली में 70 से 80 दाने होते हैं जो की 1000 दानों का वजन 50 से 60 ग्राम तक होता हैं।
यदि आप भी HI 1650 Wheat Full Details In Hindi के बारे में जानकारी लेने के लिए आए हो तो इस विषय पर हम आपको आगे पूरी जानकारी विस्तार से बताने वाले हैं ऐसे में आप सभी लोग लेख में दी गई पूरी जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
एचआई 1650 क्या है
एचआईवी 1650 गेहूं की एक वैरायटी है इस वैरायटी की खेती करने से लोगों को बहुत ही अधिक लाभ होता हैं यदि आप एचआई 1650 की खेती करते हैं तो 115 से 120 दिन के बीच में यह फसल पक कर कटाई योग्य हो जाती है इस गेहूं के एक रो में चार दाने होते हैं और इसकी पैदावार लोग बहुत ही आसानी से कर लेते हैं। एचआई 1650 गेहूं को ओजस्वी गेहूं के नाम से भी लोग जानते हैं।
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HI 1650 गेहूं की विशेषताएं
एचआई 1650 गेहूं की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि, इस गेहूं की हाइट मीडियम साइज में रहेगी इसके पौधे की लंबाई लगभग 90 से 95 सेंटीमीटर ऊंचाई मे रहती है जोकी मोटे तने और कम लंबाई होने के कारण फसले जमीन पर नहीं लटकेगी जिससे फसल की अच्छी पैदावार होने की संभावना बढ़ जाती है ,
देखा जाता है कि किसान ऐसे गेहूं की खेती करते हैं जो की बारिश और हवा चलने पर पौधे गिर जाते हैं जबकि एचआई 1650 की खेती करने पर हमें इनमें से किसी भी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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HI 1650 बोने का सही समय
एचआई 1650 खेती करने के लिए नवंबर माह में बुवाई होना शुरू हो जाता हैं जो कि इस बीच को हर एक जगह पर उपलब्ध करने की तैयारी की जा रही है आने वाले सीजन में इस वैरायटी की खेती ज्यादातर करते हुए लोग नजर आएंगे ।
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एचआई 1650 गेहूं की खेती किन-किन क्षेत्रों में होती है
एचआईवी 1650 की खेती छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर और उत्तर प्रदेश आदि जगहों पर कि जाती है इस वैरायटी की सबसे अधिक खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है।
एचआई 1650 बीज दर व् उत्पादन
एचआई 1650 की खेती करने के लिए आप 22-25 किलो प्रति बीघा और 100 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई कर के 15-18 क्विंटल प्रति बीघा का उत्पादन ले सकते है ।
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एचआई 1650 में होने वाले रोग एवं कीट
एचआई1650 पर निम्नलिखित रोग एवं कीट दिखाई पड़ते हैं जैसे लीफ ब्लाइड , करनाल बंट, स्टेम रस्ट, ब्लैक पॉइंट, फ्लैग स्मट आदि रोग दिखाई देते हैं जिनके लक्षण कुछ इस प्रकार से होते हैं।
तने पर जंग
पत्ती, तना और बालियों पर गहरे भूरे रंग की फुंसिया दिखाई देना।
काली नोक
दाने पर काले काले नोक दिखाई देना।
फ्लैग स्मट
कभी-कभी हमें तनों पर लंबी काली ऊपरी हुई धारियां दिखाई पड़ना।
निष्कर्ष
HI 1650 Wheat Full Details In Hindi के बारे में हमने पूरी जानकारी विस्तार से बताई है यदि आपको इस वैरायटी के बारे में जानकारी समझ में आती है तो आप अपने किसान भाइयों को इस वैरायटी के बारे में जानकारी जरुर शेयर करें ताकि उन लोगों को भी इस वैरायटी के बारे में जानकारी मिल सके और खेती करने के लिए उचित वैरायटी का चयन कर सकें लेख से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या लगने पर या फिर अन्य विषय पर जानकारी चाहिए तो लेख के कमेंट बॉक्स का उपयोग करना ना भूले।
जय जवान – जय किसान
Bahut achi jankari