2024 की गर्मियों मे करे तरबूज की खेती
Tarbuj ki kheti: हमारे भारत देश में गर्मियों के समय में तरबूज एक लोकप्रिय व महत्वपूर्ण फल माना जाता है। गर्मियों के समय में लोग तरबूज को जूस, फ्रूट डिश, शरबत, आदि कई प्रकार के सेवन करते हैं, यह कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद भी होता है।
तरबूज की खेती से किसानों को भी काफी मुनाफा होता है, किसानों के लिए तरबूज की खेती शरीर के फायदेमंद के साथ-साथ आर्थिक फायदेमंद भी होता है।
तरबूज हमारे लिए बेहतरीन ताजगी दायक फल के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी अधिक फायदेमंद माना गया है। गर्मियों के समय में धूप से होने वाले निर्जलीकरण से हमें तरबूज का सेवन ही बचाता है,क्योंकि 100 ग्राम तरबूज में 95.8 ग्राम पानी होता है। इसके सेवन से हमारे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती है।
आइए आज हम इस आर्टिकल के जरिए आप सभी को तरबूज की खेती के बारे में तरबूज की खेती कैसे करें? तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु मिट्टी, तरबूज के पौधों की बुवाई कैसे करें? तरबूज की खेती कहां-कहां होती है? अथवा उर्वरक का प्रयोग तरबूज की खेती में आदि संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जो सभी किसान भाइयों को खेती करने में सहायक होगा।
तरबूज की खेती कैसे करें
Tarbuj ki kheti: तरबूज की खेती किसानों के लिए अच्छा स्रोत बन सकता है। परंतु खेती करने से पहले इसकी संपूर्ण जानकारी अवश्य जान लेना चाहिए कि इसकी खेती कब और कैसे करनी चाहिए?
दोमट काली मिट्टी तरबूज की खेती के लिए ज्यादा पैदावार माना गया है, अच्छी खेती करने के लिए किसान 150-200 ग्राम प्रति एकड़ बीज की मात्रा करते हैं। तरबूज की खेती के लिए गर्म व शुष्क जलवायु उचित माना गया है, 30 डिग्री गर्म दिन व ठंडी रात का मौसम तरबूज में मिठास लाता है। तरबूज की खेती फरवरी मार्च के बीच लगाना चाहिए जिससे यहां 80 -90 दिन में जबरदस्त मिठास के साथ तैयार हो सके।
तरबूज की खेती गर्मियों के समय में किया जाता है तरबूज की खेती करने के लिए सबसे पहले खेतों को तैयार करना चाहिए। खेतों की अच्छी से जुताई करवानी चाहिए और खेतों में क्यारियां बनाएं, क्यारियां बनाने के बाद उस पर काली प्लास्टिक बिछाए, यह जंगली घास उगने से बचाने के साथ-साथ मिट्टी को गर्म करने होने से रोकता है ।
तरबूज की खेती के लिए खेतों की तैयारी
तरबूज की खेती करने से पहले खेतों को अच्छी तरह से जुताई पलाव की सहायता से करवानी चाहिए जिससे सभी खरपतवार नष्ट हो जाए और फिर रोटरवेटर की सहायता से दोबारा जुताई करवाएं जिससे सभी मोटे मिट्टी के ढेर समतल हो जाए।
उपयुक्त जलवायु व मिट्टी
Tarbuj ki kheti: किसानों की माने तो तरबूज की खेती एक एकड़ जमीन में 300 क्विंटल के लगभग तैयार होता है। तरबूज की अच्छी खेती के लिए औसत आर्द्रता व गर्म क्षेत्र उपयुक्त माना जाता है। तरबूज के आकार के लिए 25 से 32 डिग्री सेल्सियस का तापमान अच्छा माना गया है और इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अधिक अच्छी और पैदावार माना गया है।
तरबूज के पौधों की बुवाई कैसे करें
तरबूज के पौधों की बुवाई करने के लिए सबसे पहले प्रत्येक केंद्र में ड्रिप की ट्यूबों को फैलाएं। और फिर खेतों मे बनी 30 सेमी ऊंचाई और 1.2 मीटर चौड़ाई की उठी हुई क्यारियों पर ड्रिप सिस्टम चला कर 8 से 12 घंटे लगातार क्यारियों की सिंचाई करनी चाहिए। और तरबूज के पौधे 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बने गड्ढों में रोपें।
तरबूज की खेती की सिंचाई कैसे करें
Tarbuj ki kheti: तरबूज के खेती की सिंचाई सुबह या शाम के समय चाहिए। बुवाई कि पहली सिंचाई हल्की सी सिंचाई करें और जब फसल में वृद्धि हो जाए तब तरबूज की सिंचाई उसके विकास के अनुसार करनी चाहिए। तरबूज की खेती के बुवाई के दौरान पानी की कम आवश्यकता होती है परंतु फसल में वृद्धि और विकास होने के बाद इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है।
तरबूज की खेती कहां-कहां होती है
मुख्य रूप से तरबूज की खेती उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक राज्य में किया जाता है। इसके अलावा तरबूज की खेती नदियों व गंगा, जमुना के किनारे खाली जगह पर क्यारिया बनाकर किया जाता है।
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग तरबूज की खेती में
रेतीली मिट्टी में तरबूज की खेती के लिए 20 से 25 ट्राली गोबर की खाद डालकर जुताई करवा देना चाहिए और उसके बाद क्यारियां बनाते समय खाद डालकर उसे अच्छे से मिलकर बनाना चाहिए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि कभी भी जैव उर्वरक के साथ रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल न करें।
फास्फेट, पोटाश 60-60 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर मात्रा दर के साथ-साथ 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन प्रति हैक्टर की मात्रा में देनी चाहिए। भूमि की तैयारी के समय पोटाश व फास्फेट की आधी मात्रा मिलाना चाहिए तथा नाइट्रोजन की शेष मात्रा बुवाई के बाद 25 से 30 दिन बाद देना चाहिए।
भूमि की उर्वरक शक्ति पर खाद की उर्वरक मात्रा पर निर्भर करती है, उर्वरक व खाद की मात्रा कम की जा सकती है खेती में अगर धूम में उर्वरा शक्ति अधिक है तो।
तरबूज की बुवाई के बाद लगभग 10 से 15 दिन में उसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए परंतु अगर आप तरबूज की खेती आप नदियों के किनारे कर रहे हैं, तो आपको सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि उसे मिट्टी में नमी बनी रहती है।
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तरबूज की खेती के फायदे
तरबूज की खेती हमारे लिए कई प्रकार से फायदेमंद व महत्वपूर्ण मानी गई है। गर्मियों में हमारे शरीर में होने वाले पानी की कमी को तरबूज दूर करता है, और साथ ही हमें ताज़गी से भरपूर रखता है।
तरबूज का सेवन गर्मियों के मौसम में हमारे शरीर के मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण को दूर करने के साथ-साथ तरबूज का सेवन हमारे हृदय एवं रक्तचाप को संतुलित बनाए रखने में काफी मदद करता है।
तरबूज एक लो- कैलोरी फल है। जो हमारे शरीर में केवल 16 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। यह प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है और साथ ही विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ प्रदान करता है। इसमें 7.9 मि.ग्रा. लोह तत्व भी देता है। भरपूर विटामिन से युक्त यह काफी स्वादिष्ट भी होता है।
उन्नत किस्में तरबूज की खेती के लिए
तरबूज की ऐसी बहुत सारी किस्म है जो कम समय में अधिक पैदावार के साथ मुनाफा देती है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
शुगर बेबी –
शुगर बेबी बीज बुवाई के 95 -100 दिन बाद तैयार हो जाता है, और इसकी कटाई होती है। इस बीज के फल में बीज बहुत कम पाए जाते हैं, तथा इसका औसत भार 4 किलोग्राम के बराबर होता है। तरबूज के इस बीज से प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल तक उपज का मुनाफा देता है।
अर्का मानिक –
बैंगलोर द्वारा तरबूज के इस बीज का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान किया गया है। तरबूज के इस बीज से प्रति हेक्टेयर 60 टन तक उपज का मुनाफा हो सकता है।
अर्का ज्योति –
बेंगलुरु द्वारा इस तरबूज के बीज का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संसाधन द्वारा किया गया है। इस बीच में फल भंडार की क्षमता अधिक होती है और इसका औसत भार 4-6 किलोग्राम होता है। तरबूज के इस बीज से प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक का उत्पादन किया जा सकता है।
डब्लु.19 –
तरबूज का यह किस्म गर्म शुष्क क्षेत्रों में एन.आर.सी.एच. द्वारा खेती करने के लिए जारी किया गया है। इस किस्म का बीज उच्च तापमान सहन करते हुए स्वादिष्ट एवं मीठा है, इस बी का फसल तैयार होने में पूरा समय 75 से 80 दिन का समय लगता है। तरबूज के इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 46 से 50 टन तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
आशायी यामातो –
इस किस्म से प्राप्त तरबूज का औसत भार 7 से 8 किलोग्राम होता है यह किस्म जापान से लाई गई है। इस किस्म का छिलका हरे रंग वह धारीदार और इसके बीज छोटे-छोटे होते हैं। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 225 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है।
हाइब्रिड तरबूज की बुवाई कैसे करें
हाइब्रिड तरबूज की बुवाई करने के लिए सबसे पहले खेतों को मिट्टी पलटने वाले पलव से जुताई करवानी चाहिए। और फिर उसके बाद कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करवानी चाहिए जुताई करवाते समय खेतों में थोड़ी नमी रहनी चाहिए।
उसके बाद खेतों में क्यारियां बनाकर गोबर की खाद को अच्छे से मिलना चाहिए। और फिर तरबूज की बुवाई करनी चाहिए। तरबूज की किस्मों पर पौधों की आपसी दूरी व पंक्ति निर्भर करती है।
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तरबूज की तुड़ाई
तरबूज की बुवाई के बाद तीन से साढ़े तीन महीने बाद इसकी तुड़ाई शुरू कर दी जाती है। फल कटाई के योग्य हो गया है या नहीं इसका अंदाजा तरबूज के फल को दबाकर भी किया जा सकता है।अगर आपको फलों को कहीं बाहर भेजना है तो समय से पहले उसकी कटाई करनी चाहिए इस फल की कटाई तेज चाकू से किया जाता है।
तरबूज की खेती में लगने वाले कुल खर्च
तरबूज की खेती में लगने वाले कुल खर्च निम्नलिखित इस प्रकार हैं-
- 5000 खाद बुवाई और खेत की तैयारी में लगा कुल खर्च।
- 4000 मजदुर
- 1500, (5) किलो तरबूज का बीज।
- 30 मजदूरों की तुड़ाई की जरूरत।
- 16000 कुल खर्च।
और अंत में :
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जय जवान – जय किसान